"मै तेरा काल "

राजा धर्मद्वज  का कुशध्वज नमक एक धर्मात्मा भाई था.उसका विवाह मालावती नामक युवती से हुआ.धर्मध्वज के भांति कुशध्वज भी भगवती जगदम्बा का अनन्य भक्त था .वह प्रतिदिन उनके मायाबीज मंत्र का जाप करता था.भगवती कि कृपा से कुशध्वज के घर एक सुन्दर कन्या उत्पन्न हुई.वह कन्या महालक्ष्मी का अंश थी .जन्म लेते ही वह कन्या वेद मंत्रो  का उच्चारण करते हुए सुतिकाग्रिः से बहार निकल आई.अतः विद्वानों ने उसका नाम 'वेदवती' रखा.
माता पिता के भांति वेदवती के ह्रदय में भी भक्ति का अथाह सागर उमड़ रहा था. युवा होने पर