पृथ्वी परिक्रमा

क बार ब्रह्माजी के तपोबल से अत्यंत सुन्दर और श्रेष्ठ लक्षणों से युक्त एक कन्या उत्पन्न हुई।उसकी देह से दिव्य तेज निकल रहा था;होठो पर सुन्दर मुस्कान खेल रही थी।उसे देखकर ब्रह्मा जी का ह्रदय