कवी बना शुक्राचार्य

महर्षि  अंगिरा और भृगु  मुनि परस्पर गहरे मित्र थे.उनकी मित्रता तीनो लोको में प्रसिद्द थी.अंगिरा का जीव नामक एक पुत्र था, वही भृगु के पुत्र का नाम कवी था.दोनों बालक अत्यंत बुद्धिमान तथा एक समान  आयु के थे.पिता के समान  उन दोनों में भी गहरी मित्रता थी.इसलिए जब वे शिक्षा ग्रहण करने योग्य हुए तो भृगु ने निश्चय किया कि महर्षि अंगिरा ही दोनों को शिक्षा प्रदान करेंगे.अतः कवी अंगिरा ऋषि के आश्रम में रहकर शिक्षा ग्रहण करने लगा.किन्तु पुत्र मोह के कारण अंगिरा दोनों में भेदभाव करने